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Friday, 10 May 2024

आखिरकार किसानों के चल रहे आंदोलन में क्यों शामिल नहीं हो रहे खेतों में काम करने वाले ज्यादातर किसान,,,,?

पंजाब के किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर बड़ा आंदोलन कर रहे हैं वह पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर बैठे हैं उनको आगे दिल्ली जाने नहीं दिया जा रहा लेकिन इसी बीच सवाल उठ रहा है कि सभी किसानों के साथ है या नहीं क्योंकि पंजाब के खेतों में ज्यादातर किसान काम करते दिखाई दे रहे हैं जो मांगों को लेकर पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर बैठे किसान मांग कर रहे हैं क्या उनकी मांगों के बारे में खेतों में काम करने वाले किसानों को पता है इसलिए हमने ग्राउंड रिपोर्ट की


मंगवाल गांव के 60 वर्षीया किसान हरदीप सिंह जो की 15 एकड़ खेत के मालिक हैं पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर किसान आंदोलन कर रहे है लेकिन वह अपने खेत में काम कर रहे हैं, हमने उनसे पूछा कि आप आंदोलन में शामिल क्यों नहीं हुए तो उन्होंने बताया कि हम उनके साथ हैं वह हमारे साथी हैं लेकिन खेतों में काम करना भी जरूरी है क्योंकि आप ज्यादातर घरों में अकेले-अकेले किसान हैं और उनके धरने में जाना और खेतों में काम करना मुश्किल है इसीलिए वह धरने पर गए हुए हैं हम पीछे अपना खेत भी देख रहे हैं और साथ ही उनके खेत भी देख रहे हैं जैसे की खेत में गेहूं की फसल है उसको पानी लगाना लेकिन वह हमारे ही लड़ाई लड़ रहे हैं हमारे खेतों में अभी सिर्फ गेहूं और धान की फसल ही हो रही है इन्हीं पर हमें एमएसपी पर खरीद हो रही है जबकि हमारे खेतों में वह फैसले भी हो सकता हैं लेकिन उनके दाम हमें सही नहीं मिलते जैसे खेत में कपास मक्का दालें सरसों इसी लड़ाई को तो वह बॉर्डर पर बैठे लड़ रहे हैं अगर सभी फसलों पर हमें एमएसपी मिल जाए तो हम इन फसलों को छोड़कर दूसरी फसले लगा लेंगे क्योंकि धन के चलते हमारा पानी भी नीचे जा रहा है



इसके बाद हम थोड़ा और आगे गए हमें खेत में बुजुर्ग किसान जसवीर सिंह अपनी गेहूं की फसल की देखभाल करते हुए दिखाई दिए हम उनके पास गए तो उन्होंने भी कहा जो किसान आंदोलन की लड़ाई लड़ रहे हैं वह हमारे साथी हैं उन्होंने बताया कि उनके पास 6 एकड़ जमीन है वह गेहूं और धान की खेती करते हैं लेकिन जो नेता लड़ाई लड़ रहे हैं वह उनके भले के लिए उनके अच्छे के लिए ही लड़ रहे हैं हमें उन पर पूरा भरोसा है क्योंकि अगर हमें सभी फसलों पर एम एसपी मिल जाएगी यानी के सभी फसलों की खरीद की गारंटी मिल जाएगी तो हमें बहुत अच्छा लगेगा हम और फैसले भी लगा सकते हैं लेकिन जब दाम नहीं मिल रहा इसलिए हम सिर्फ गेहूं और धान की खेती ही करते हैं हमें सभी को पता है ऐसा नहीं है कि हम सिर्फ खेतों में काम कर रहे हैं हमें कुछ पता नहीं,,, जब दूसरी फसलों का सही दाम नहीं मिल रहा तो हमारे सिर पर लाखों का कर्ज भी हो रहा है हमारे घरों से दूसरे किसान आंदोलन लड़ रहे हैं हां पीछे उनकी मदद कर रहे हैं उनके खेत देख रहे हैं अगर उनको कोई जरूरत होती है वहां पर तो हम जहां से राशन का सामान उनको देकर आते हैं।


जसवीर सिंह खेतों में काम करने वाला बुजुर्ग किसान 


हम ने इस पूरे मुद्दे पर किसान नेट गुरविंदर सिंह से बात की क्योंकि कई किसान संगठन इस आंदोलन में शामिल नहीं है सिर्फ कुछ किसान संगठन में ही लड़ाई लड़ी जा रही हैं हमें गुरविंदर सिंह ने बताया कि ऐसा नहीं है लड़ाई लड़ने का सभी का अलग-अलग ढंग और तरीका होता है मांगे हमारी एक ही है यह पिछले दिल्ली आंदोलन की मांगे हैं जो रह चुकी थी उन्हीं पर बोल लड़ाई लड़ रहे हैं हम भी लड़ रहे हैं हम उनका पूरा समर्थन कर रहे हैं वह दिल्ली जाने का फैसला किया था उन्होंने दिल्ली जाने नहीं दिया गया बहुत हरियाणा की बॉर्डर पर बैठे हैं हमने पंजाब के भाजपा नेताओं के घर घिरे हुए हैं जिसमें कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के नेता सुनील जाखड़ और केवल सिंह ढिल्लों इसके साथ ही जब किसानों पर आंसू गैस चलाई गई थी उसके बाद हमने पंजाब में रेलवे ट्रैक जाम किए थे हम सभी उनके साथ हैं जो किसान खेतों में काम कर रहे हैं या बॉर्डर पर बैठे हैं यह लड़ाई मिलकर ही लड़ी जाती है आंदोलन भी देखना होता है खेतों में भी काम करना होता है और दूसरे तरीके से भी लड़ाई लड़नी होती है आंदोलन लड़ाई किसानों को अकेला मत समझा जाए हम 26 फरवरी को ट्रैक्टर मार्च कर रहे हैं 14 मार्च को दिल्ली में महापंचायत होगी जहां देश के सभी किसान संगठन शामिल होंगे और पंजाब में भी संयुक्त किसान मोर्चे की बैठकर हर समय होती रहती है


गुरविंदर सिंह किसान नेता bku ugraaha



पंजाब के किसान कई तरीके से लड़ाई लड़ रहे हैं कई संगठन भाजपा नेताओं के घर के बाहर बैठे हैं और कई संगठन शंभू और खनोरी बॉर्डर पर बैठे हैं और जो आंदोलन कर रहे किसानों पर जैसे खनौरी बॉर्डर पर एक किसान की मौत हुई उसको लेकर आज पूरे देश में सभी किसान संगठनों ने एक साथ प्रदर्शन किया काला दिन के तौर मनाया।

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