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Tuesday, 14 May 2024

शहीद मेजर आशीष धौंचक की अंतिम यात्रा में एक कि.म। लंबा काफिला, जगह-जगह पुष्प वर्षा कर दी विदाई

हजारों लोग रहे मौजूद, आशीष अमर रहें भारत माता की जय से गूंज उठा आसमान


पानीपत के लाल 13 सितंबर को अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ में हो गए थे शहीद


अर्शदीप समर, जय हिंद


कश्मीर के अनंतनाग में 13 सितंबर को आतंकियों के हमले में शहीद हुए मेजर आशीष धौंचक का पूरे राजकीय सम्मान के साथ शुक्रवार को उनके पैतृक गांव बिंझोल में अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस मौके पर हजारों लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर भारत माता की जय और शहीद आशीष अमर रहें के नारों से आसमान गूंज उठा।


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इससे पहले 14 सितंबर को उनका शव पानीपत स्थित टीडीआई में उनके नये बने मकान पर ले जाया गया। वहां भी सैकड़ों लोगों ने श्रद्धांजलि दी। 36 वर्षीय मेजर आशीष का शव शुक्रवार को जब पानीपत से बिंझौल के लिए रवाना हुआ तो जगह-जगह लोगों ने सड़क के दोनों तरफ से शव पर पुष्प बरसा कर उन्हें अंतिम विदाई दी। आशीष का अक्तूबर में जन्मदिन था और वह अपने जन्मदिन पर धार्मिक रीति रिवाजों के साथ गृह प्रवेश करने वाले थे।


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उनकी अंतिम यात्रा में करीब एक किमी लंबा काफिला चल रहा था।अंतिम यात्रा में शव के साथ मेजर आशीष की मां और बहनें भी बिझौल गईं। उनकी बहन का रो रोकर बुरा हाल था। उसने कहा कि उसे अपने भाई की शहादत पर गर्व है। वह लगातार अपने भाई को सैल्यूट दे रही थी। मेजर आशीष तीन बहनों के इकलौते भाई थे। तीनों बहनें शादी शुदा हैं। उनकी शादी 15 नवंबर 2015 को जींद निवासी ज्योति से हुई थी। वह अंतिम बार चार महीने पहले अपने साले की शादी में आए थे और तभी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों से मुलाकात हुई थी।


मेजर आशीष को इसी साल 15 अगस्त को राष्ट्रपति मुर्मू ने सेना मेडल देकर सम्मानित किया था। आशीष ने केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई की थी। उन्होंने बरवाला के कालेज से बीटेक किया था और एमटेक की पढ़ाई कर रहे थे तभी उनका चयन सेना में हो गया और वे 2012 में 25 साल की उम्र में सेना में लेफ्टिनेंट पद पर भर्ती हो गए।


कुछ दिन पहले आशीष की उनके जीजा सुरेश दुहन से बातचीत हुई थी। उन्होंने दुहन से कहा था कि उन्होंने देश के चार-पांच दुश्मनों को निपटा दिया है, बाकियों को भी निपटाकर जल्द लौटेंगे। दुहन ने बताया कि आशीष पोस्टिंग बठिंडा, बारामूला और मेरठ में हुई थी। ढाई साल पहले उनका ट्रांसफर राजौरी हुआ था और 2018 में उन्हें प्रमोट कर मेजर बना दिया गया था। उनके पिता एनएफएल से रिटायर हैं और मां गृहिणी हैं। उनका चचेरा भाई भी सेना में मेजर है और वह इस समय पूना में ट्रेनिंग पर है।


-अर्शदीप समर, जय हिंद
डायरेक्टर
द समर न्यूज़

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