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Saturday, 04 May 2024

फोरलेन निर्माण के चलते मौ*त का NH बनकर रह गया है 4 से 8 मील तक का सफर.

मंडी : धर्मवीर (TSN) - कीरतपुर मनाली निर्माणाधीन फोरलेन प्रोजेक्ट के तहत मंडी से पंडोह तक बेतरतीब ढंग से की गई पहाड़ों की कटिंग का खामियाजा आम जनता भुगत रही है। आलम यह है कि चंडीगढ़ मनाली नेशनल हाईवे पर 4 से 8 मील के बीच कुछ माह पहले की गई कटिंग आज भी पत्थरों के रूप में मौ*त बनकर बरस रही है।


केएमसी कंपनी व संबंधित ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज


दो दिन पहले भी मंडी से पंडोह के बीच 6 मील के पास कटिंग कर रही मशीन पर पत्थर और मलबा गिरा जिस कारण ऑपरेटर की दबने से दर्दनाक मौ*त हो गई। इससे पूर्व भी 31 जनवरी को पहाड़ी से गाड़ी पर पत्थर गिरने से एक महिला की मौ*त हो गई और चार लोग बालबाल बचे थे। आये दिन दो पहिया व अन्य गाड़ियों पर यहां पर पत्थर गिरते आए हैं। जिस कारण लोगों ने अब इस एनएच को सुविधा नहीं मौत का एनएच कहना शुरू कर दिया है। बता दें कि 2 दिन पूर्व हुई मशीन ऑपरेटर की मौ*त के बाद एनएचएआई व जिला प्रशासन प्रशासन की आंखे खुली और तब जाकर पहाड़ी पर हवा में लटके बड़े-बड़े पत्थरों को हटाने शुरू किया गया है।वहीं पुलिस प्रशासन द्वारा इस हा*दसे के बाद फोरलेन निर्माण कार्य में लगी केएमसी कंपनी व संबंधित ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई भी की जा रही है।


हादसे के शिकारों का आरोप - सही से नहीं की जा रही पहाड़ों की कटिंग


पंडोह से अपने परिजनों के साथ मंडी आ रहे स्थानीय निवासी यशपाल का कहना है कि मंडी से पंडोह के बीच फोरलेन नहीं मौ*त का लेन बनता जा रहा है। जिसमें उन्होंने अपनी 47 वर्षीय बुआ को अपनी आंखों के सामने काल का ग्रास बनते देखा। उन्होंने आरोप लगाया है कि फोरलेन का कार्य वैज्ञानिक तरीके से नहीं हो रहा है, जिसके कारण इसका खामियाजा इस सड़क पर सफर करने वालों को अपनी जान से हाथ धोकर चुकाना पड़ रहा है।


वहीं सात मील के रहने वाले काकू राम बताते हैं कि वह रोज इस सड़क पर सफर करते हैं और हर समय किसी अप्रीय घटना का अंदेशा बना रहता है। मनाली निवासी रमेश कुमार भी इस सड़क को वाहनों की आवाजाही के लिए खतरनाक बता रहे हैं। वहीं आजकल रोज चार घंटे सड़क को आवाजाही के बंद रखने पर बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटक भी खासे परेशान नजर आ रहे हैं। दिल्ली से मनाली घूमने जा रहे गुड़गांव के पर्यटक विवेक कुमार का कहना है कि पहाड़ों से सभी घूमने आते हैं लेकिन यदि पहाड़ों पर इस प्रकार से खतरा मंडरा रहा हो तो उन्हें भी सफर करने में डर सा लग रहा है। आम जनता के साथ पर्यटकों ने भी सरकार से इस फोरलेन के कार्य को सही से करने की मांग उठाई है जिसमें यहां पर सफर करने वालों की सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाए।

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