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Saturday, 18 May 2024

मिक्स लैंड यूज इलाकों में बसे इंडस्ट्री बचाने में सांसद रवनीत सिंह बिट्टू की पहल

डीएल डॉन, लुधियाना : लुधियाना में करीब 72 मिक्स लैंड यूज इलाकों में बसी इंडस्ट्री पर कार्रवाई को लेकर उद्योगपति चिंतित हैं और लगातार सरकार के खिलाफ विरोध जता रहे हैं। उद्यमियों का कहना है कि इन मिक्स लैंड इंडस्ट्री को वही रहने दे जहां है ताकि और दोगे कि भाई जीवित रह सके। शनिवार को सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने मिक्स लैंड इंडस्ट्रीज उद्योगपतियों से मिलकर समस्या के हल में जुट गए हैं। राजनीतिक गलियारों में इसपर राजनीति का सिलसिला तेज है। एक बार फिर लोकसभा 2024 चुनावों के नजदीक आते इन इलाकों में बसी इंडस्ट्री और घरों को आकर्षित करने के लिए राजनेता तैयारी में जुट गए हैं। सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने दावा किया कि मिक्स लैंड इंडस्ट्रीज को बचाने के लिए वह हर संभव प्रयास करेंगे।

यूसीपीएमए कार्यालय में डीएस चावला संग बैठक
मिक्सलैंड यूज मुद्दे को लेकर लुधियाना का सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने गिल रोड स्थित यूसीपीएमए कार्यालय में प्रधान डीएस चावला संग बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा की। ज्ञात हो कि सितंबर 2023 में यहां से इंडस्ट्री को बंद किए जाना है। बिट्टू ने आश्वासन दिया कि वह मिक्स लैंड इंडस्ट्रीज को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। बिट्टू ने कहा कि 2017 में बने मास्टर प्लान के मुताबिक मिक्सलैंड यूज में काम कर रही 72 इलाकों की इंडस्ट्री को बंद करना था। इसके लिए पहले दस साल और दूसरी बार 5 साल की एक्सटेंशन दी गई। लेकिन इसके विकल्प के रुप में सरकार नए फोकल प्वाइंट स्थापित नहीं कर पाई है। जिससे सरकार मिक्स लैंड इंडस्ट्रीज को गुप्त जगह से हटा नहीं सकती है।


माइक्रो यूनिट्स के बिना बड़े कारखानों में कच्चे माल की कमी : सितंबर माह में अंतिम तिथि होने के चलते कारोबारी इसकी एक्सटेंशन की बजाए इन इलाकों को स्थाई इंडस्ट्रीयल एरिया घोषित करने की मांग कर रहे हैं। यूसीपीएमए प्रधान डीएस चावला ने कहा कि इन इलाकों में चल रहे माइक्रो यूनिट्स के बिना बड़े कारखानों में कच्चे माल की कमी हो जाएगी। जिससे बड़े इंडस्ट्रीज भी प्रभावित हो जाएंगे और देश की आर्थिक राजधानी महानगर औद्योगिक नगरी लुधियाना में औद्योगिक इकाइयों को कठिनाइयों के दौर से गुजरना पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक मिक्स लैंड इंडस्ट्रीज के लिए फोकल प्वाइंट की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक सरकार को इन यूनिटों को नहीं छोड़ना चाहिए नहीं तो प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था पर असर पड़ेगा।

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